Friday, August 6, 2010

अनुकृति नहीं, कला सृष्टि

कला अरूप से रूप का सृजन करती है। मानवीय क्रियाओं एवं विचारों का पोषण,  संवर्धन कला ही करती है।    जब से विज्ञान ने कलाओं के दरवाजे पर दस्तक दी है, वे नित नए रूपों में और अधिक लुभाती मन को भाने लगी है। एनिमेशन फिल्मों को ही लें।   परिकल्पनाओं को यथार्थ धरातल पर उतारती कार्टून चरित्रों की यह कला आज विश्वभर में सर्वाधिक लोकप्रिय हो रही है।

अभी बहुत समय नहीं हुआ, जवाहर कला केन्द्र की एक कला दीर्धा में बाकायदा एनिमेशन चरित्रों की कला प्रदर्शनी लगायी गयी थी। बच्चा बनता मन इसे देख जैसे इसी में खो सा गया था और तभी याद आने लगी थी ढ़ेरो एनिमेशन फिल्में। गोल-गोल, लव-कुश, रोड साईड रोमियो, अलादिन, विक्रम-बेताल, जंबो, दशावतार, कृष्णा, बाल गणेश, हनुमान, हनुमान रिटर्न आदि एनिमेशन फिल्में बनी जरूर बच्चों के लिए है परन्तु इन्हें देखने का लोभ बच्चों के साथ मैंने भी कभी छोड़ा नहीं। इन्हें देखते लगा, यह इनमें निहित कला ही है जो प्रबल मनोवेगों का सहज भावाद्रेक कराती है।  

‘एनीमेट’ का अर्थ है अनुप्राणित करना और इसी से बना है-एनिमेशन। कार्टून कैरीकेचर के रूप में धार्मिक, पौराणिक, ऐतिहासिक किरदारों को आधुनिक रंग में रंगे देखते लगता है एनिमेशन के जरिए हमारे जेहन में बसे चरित्रों का कार्टून बनाने वालों और फिर कम्प्यूटर के जरिए उन्हें सिनेमा के पर्दे पर जीवंत करने वाले तकनीकी कलाकारों ने पुनराविष्कार कर दिया है। बच्चों के साथ ही बड़ों के लिए भी विश्व में सर्वाधिक लोकप्रिय एनिमेशन चरित्र मिकी माउस का ही है। इतना कि जब कभी यह स्क्रिन पर आता है, दर्शक उसमें डूब-डूब जाते हैं। वाल्ट डिज्नी ने चार्ली चैपलिन की प्रेरणा से यह नायाब कार्टून करेक्टर गढ़ा था। डिज्नी ने अपने सहयोगी एनिमेटर अब आइवक्र्स के साथ मिलकर जब इस चरित्र को गढ़ा था तब इसका नाम था-मोर्टिमर। मजे की बात यह है कि यह नाम डिज्नी की पत्नी लिलियन को बिल्कुल भी नहीं सुहाया। लिहाजा इस कार्टून करेक्टर का नाम हुआ-मिकी। हम सभी जानते हैं यह अब हमारे बीच कितना लोकप्रिय है।

बहरहाल, भावों का संशोधन, चिन्तन की गहनता और कल्पनाशीलता के साथ एनिमेशन कला आज विश्वभर में छा गयी है। यह जब लिख रहा हूं, लियोनार्डो दा विंची बहुत याद आ रहे हैं। कभी उन्होंने ही कहा था, ‘कलाकार अनुकृति नहीं वरन सृष्टि करता है।’ मिथकों, पौराणिक, ऐतिहासिक चरित्रों के साथ ही बहुत सी दूसरी परिकल्पनाओं को इधर आधुनिक यथार्थ के ताने-बाने में बुनती एनिमेशन फिल्में क्या इस दीठ से कला की पुनः सृष्टि ही नहीं है!

"डेली न्यूज़" में प्रति शुक्रवार को प्रकाशित डॉ.राजेश कुमार व्यास का स्तम्भ "कला तट" दिनांक 6-8-2010

2 comments:

  1. aaj patrika ke ravivariy me kalawak par jankari padhkar abhibhoot hua... badhai. aap bahumukhi pratibha ke dhani hain... sadhuwad.

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  2. aap yahan aaye...
    sukriya!

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